5 Simple Statements About naat lyrics in hindi Explained
5 Simple Statements About naat lyrics in hindi Explained
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naat sharif lyricsls
सब्ज़-गुंबद की उन बहारों को दिल हमारे सलाम कहते हैं
हाजियो ! मुस्तफ़ा से कह देना, बे-सहारे सलाम कहते हैं
जीने में ये जीना है, क्या बात है जीने की
दिल रोंदा ए जांदे ने जदों लोकी मदीने नूं
महफूज़ रखा रब ने वो पत्थर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
कुछ प्रसिद्ध नातख्वान (रेसाइटर्स) कौन हैं?
उन की चौखट पे पड़े हैं तो बड़ी मौज में हैं
वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है वो सोने से कंकर, वो चाँदी सी मिट्टी नज़र में बसाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जो पूछा नबी ने कि कुछ घर भी छोड़ा तो सिद्दीक़-ए-अकबर के होंटों पे आया वहाँ माल-ओ-दौलत की क्या है हक़ीक़त जहाँ जाँ लुटाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जिहाद-ए-मोहब्बत की आवाज़ गूँजी कहा हन्ज़ला ने ये दुल्हन से अपनी इजाज़त अगर हो तो जाम-ए-शहादत लबों से लगाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है सितारों से ये चाँद कहता है हर-दम तुम्हें क्या बताऊँ वो टुकड़ों का 'आलम इशारे में आक़ा के इतना मज़ा था कि फिर टूट जाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है वो नन्हा सा असग़र, वो एड़ी रगड़ कर यही कह रहा था वो ख़ैमे में रो कर ऐ बाबा !
अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर !
अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर !
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मीज़ाब-ए-रहमत है मेरे सर पर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
मेरे ग़ौस की ठोकर ने मुर्दों को जिलाया है
salloo alaihe wa aalehi [repeat four moments] teray aage yoon hain dabe lache fu sahaa Arab ke barey barey